गौतमबुद्ध नगर. टोक्यो पैरालंपिक में सिल्वर मेडल जीत कर अपना और देश का नाम रोशन करने वाले गौतमबुद्ध नगर के डीएम सुहास एलवाई (Suhas Lalinakere Yathiraj) का महर्षि वेद विज्ञान विद्यापीठ ने अभिनंदन किया.
वैदिक मंत्रोच्चार के बीच हुए अभिनंदन कार्यक्रम में सुहास एलवाई को श्रीफल, रक्षा सूत्र तथा उत्तर वस्त्र भेंट कर उनके दीर्घायु एवं आरोग्य होने की कामना की गयी. गौरतलब है कि सुहास एलवाई ने पैरालंपिक में बैडमिंटन के अपने मुकाबलों में बेहतरीन खेल दिखाते हुए इतिहास रच दिया. वह ओलंपिक में पदक जीतने वाले देश के पहले डीएम हैं.
सुहास एलवाई का महर्षि वेद विज्ञान विद्यापीठ ने किया अभिनंदन
महर्षि वेद विज्ञान विद्यापीठ के वैदिक पंडित सतीश भट्ट, पंडित दीन बंधु, पंडित संजीत मिश्र, पंडित अनिरुद्ध पंडा तथा पंडित निरंजन पंड्या आदि ने यजुर्वेद, ऋग्वेद, सामवेद, तथा अथर्ववेद के मंत्रों द्वारा स्वस्तिवाचन किया। इसके साथ ही महर्षि वेद विज्ञान विद्यापीठ के प्रशासनिक सचिव शिशिर श्रीवास्तव ने आईएएस अफसर और बैडमिंटन खिलाड़ी सुहास एलवाई को पुष्पगुच्छ भेंट किया. महर्षि आयुर्वेद प्रतिष्ठान के सचिव वैद्य अच्युत कुमार त्रिपाठी ने आयुष औषधियों के साथ पुष्पमाला भेंट कर सुहास एलवाई के दीर्घायु के साथ ओलंपिक में अभूतपूर्व विजय प्राप्त करने पर बधाई दी।

टोक्यो पैरालंपिक में सिल्वर मेडल जीतने वाले गौतमबुद्ध नगर के डीएम सुहास एलवाई पर देश को गर्व है.
राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का नाम रोशन कर रहे
गौरतलब है कि टोक्यो पैरालंपिक में सिल्वर मेडल जीत कर पूरी दुनिया में भारत का नाम रोशन करने वाले सुहास एलवाई लगातार राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खासी कामयाबी हासिल करते रहे हैं. 2016 में चीन में आयोजित एशियन चैंपियनशिप में पुरुषों के एकल स्पर्धा में उन्होंने स्वर्ण पदक जीता था. इस टूर्नामेंट में वे पहले गोल्ड जीतने वाले नॉन रैंक्ड खिलाड़ी थे. सुहास 2017 में तुर्की में आयोजित पैरा बैडमिंटन चैंपियनशिप में भी पदक जीत चुके हैं. सुहास एलवाई ने कोरोना से पहले 2020 में ब्राजील में गोल्ड जीता था.
आईएएस नहीं बनना चाहते थे सुहास, खेल में थी रूचि
सुहास एलवाई (Suhas LY) का जन्म कर्नाटक के शिमोगा में हुआ. जन्म से ही दिव्यांग (पैर में दिक्कत) सुहास शुरुआत से आईएएस नहीं बनना चाहते थे. वो बचपन से ही खेल के प्रति बेहद दिलचस्पी रखते थे. इसके लिए उन्हें पिता और परिवार का भरपूर साथ मिला. सुहास की शुरुआती पढ़ाई गांव में हुई. इसके बाद उन्होंने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी से कम्प्यूटर साइंस में इंजीनियरिंग की.

टोक्यो पैरालंपिक में सिल्वर मेडल जीत कर अपना और देश का नाम रोशन करने वाले गौतमबुद्ध नगर के डीएम सुहास एलवाई का महर्षि वेद विज्ञान विद्यापीठ ने अभिनंदन किया.
2005 में पिता की मृत्यु के बाद सिविल सर्विस ज्वाइन करने की ठानी
सुहास एलवाई के पिता की मृत्यु 2005 में हो जाने के बाद वह काफी टूट गए. मगर पिता की मौत के बाद उन्होंने ठान लिया था कि उन्हें सिविल सर्विस ज्वाइन करनी है. ऐसे में उन्होंने UPSC की तैयारी शुरू की. UPSC की परीक्षा पास करने के बाद उनकी पोस्टिंग आगरा में हुई. फिर जौनपुर, सोनभद्र, आजमगढ़, हाथरस, महाराजगंज, प्रयागराज और गौतमबुद्धनगर के जिलाधिकारी बने. 2007 बैच के आईएएस अधिकारी सुहास इस समय गौतम बुद्ध नगर के जिलाधिकारी हैं. पिछले साल मार्च में महामारी के दौरान सुहास को नोएडा का जिलाधिकारी बनाया गया था.
बैडमिंटन टूर्नामेंट का उद्घाटन करने गए और वहीं से बदल गयी जिंदगी
सुहास एलवाई जब आजमगढ़ में डीएम थे, उसी समय उनका बैडमिंटन के प्रति लगाव शुरू हुआ. हालांकि, वह बचपन से ही बैडमिंटन खेलते थे. लेकिन ये एक हॉबी जैसा ही था. आजमगढ़ में वे एक बैडमिंटन टूर्नामेंट में उद्घाटन करने गए थे. यहीं से उनकी किस्मत ने मोड़ लिया. उन्होंने आयोजनकर्ताओं से अपील की कि क्या वे इस टूर्नामेंट में हिस्सा ले सकते हैं. आयोजनकर्ताओं ने उन्हें तुरंत इजाजत दे दी. इस टूर्नामेंट में सुहास एलवाई के अंदर छिपा खिलाड़ी निखरकर सामने आया. इस मैच में उन्होंने राज्य स्तर के कई खिलाड़ियों को मात दी. और उनकी खूब चर्चा हुई. तभी देश की पैरा-बैडमिंटन टीम के वर्तमान कोच गौरव खन्ना ने उन्हें देखा और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेलने के लिए प्रेरित किया.