अयोध्या में होगा श्री विष्णु सर्व अद्भुत शांति महायज्ञ का समापन

  • नोएडा में शनिवार को हुए विशाल भंडारे में बड़ी संख्या में भक्तों ने प्रसाद ग्रहण किया
  • अयोध्या में 101 पुरोहित संचालित करेंगे समस्त आयोजन, राष्ट्र व जनकल्याण की करेंगे कामना

अजय कश्यप।

नोएडा। राष्ट्र की शांति, समृद्धि व विकास के संकल्प के साथ 17 नवंबर से जारी ‘श्री विष्णु सर्व अद्भुत शांति महायज्ञ’ में विभिन्न कार्यक्रमों के आयोजन का सिलसिला शनिवार को नोएडा में थम गया। महर्षि रामायण विद्यापीठ द्वारा नोएडा के सेक्टर 110 स्थित महर्षि वैदिक परिसर में आयोजित हुए इस महायज्ञ का समापन दिसंबर माह के पहले सप्ताह में अयोध्या में होगा। महायज्ञ की पूर्णाहुति के अवसर पर 101 पुरोहित मंत्रोच्चारण और विधि-विधान से पूजन करवाएंगे।

श्री विष्णु सर्व अद्भुत शांति महायज्ञ में शनिवार को भी 1008 से ज्यादा आहुतियाँ डाली गयीं.

नोएडा में 17 नवंबर से 27 नवंबर तक चले ‘श्री विष्णु सर्व अद्भुत शांति महायज्ञ’  में शनिवार को 1008 से ज्यादा आहुतियाँ हवन कुंड में डाली गईं। देश भर से आये प्रकांड विद्वानों ने मंत्रोच्चार के साथ समस्त कार्यक्रम पूर्ण करवाए।

महर्षि वैदिक परिसर में आयोजित श्री विष्णु सर्व अद्भुत शांति महायज्ञ में शनिवार को हजारों भक्तों ने सम्मिलित होकर पुण्यलाभ प्राप्त किया.

इस अवसर पर विशाल भंडारे का भी आयोजन किया गया। इसमें बड़ी संख्या में भक्तों ने प्रसाद ग्रहण किया। महायज्ञ में उत्तर प्रदेश और बिहार सरकार के कई मंत्रियों, देश के शीर्ष नेताओं सहित दिल्ली, एनसीआर और आसपास के शहरों के हजारों लोग सम्मिलित हुए।

महर्षि रामायण विद्यापीठ ट्रस्ट के मुख्य ट्रस्टी अजय प्रकाश श्रीवास्तव के अनुसार यज्ञ की पूर्णाहुति भगवान श्रीराम की नगरी अयोध्या में होगी.

मुख्य आचार्य मनु भट्ट और आचार्य सतीश भट्ट ने बताया कि सृष्टि के पालनकर्ता भगवान विष्णु की उपासना के इस आयोजन में प्रतिदिन सुबह 9 बजे से एक बजे तक और शाम को 5 बजे से सात बजे तक हवन-पूजन हुआ। जनकल्याण की कामना की गई। ‘श्री विष्णु सर्व अद्भुत शांति महायज्ञ’ के आयोजक और महर्षि रामायण विद्यापीठ ट्रस्ट के मुख्य ट्रस्टी अजय प्रकाश श्रीवास्तव के अनुसार यज्ञ की पूर्णाहुति भगवान श्रीराम की नगरी अयोध्या में करने का प्रयोजन इसीलिए किया गया है कि अयोध्यावासी भी इस महायज्ञ का पुण्यलाभ प्राप्त कर सकें।

महायज्ञ में देश भर से आये प्रकांड विद्वानों ने मंत्रोच्चार के साथ समस्त कार्यक्रम पूर्ण करवाए।

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