महर्षि यूनिवर्सिटी ऑफ़ इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी में “जेंडर इक्वालिटी टुडे फॉर अ सस्टेनबल टुमारो” विषय पर वेबिनार का आयोजन,
सरकार से ऐसी योजनाएं बनाने की मांग जिनसे महिलाएं आगे बढ़ें, महिलाओं को हर जरूरी अधिकार दिए जाने की बात पर भी दिया गया जोर,
नोएडा। महिलाओं से ही परिवार है। उनसे ही समाज है। महिलाओं से ही देश है- दुनिया है। इसलिए जरूरी है कि महिलाओं का सम्मान हो। उन्हें वह महत्व और स्थान मिले जिसकी वे हकदार हैं। महिलाओं को अधिकार मिलें। सरकार की तमाम योजनाओं में भी महिलाओं को ख़ास तवज्जो दी जाए। ये विचार मंगलवार को महर्षि यूनिवर्सिटी ऑफ़ इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी द्वारा “जेंडर इक्वालिटी टुडे फॉर अ सस्टेनबल टुमारो” (एक स्थायी कल के लिए आज लैंगिक समानता) विषय पर आयोजित वेबिनार में उभर कर सामने आये। स्कूल ऑफ़ लॉ के तत्वावधान में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर आयोजित इस वेबिनार में वक्ताओं ने कहा राजनीति में भी महिलाओं की भागीदारी और ज्यादा बढ़ाई जानी चाहिए।

राजनीति में बढ़े महिलाओं की भागीदारी : एडवोकेट सुश्री महिमा सिंह
वेबिनार की मुख्य अतिथि सुप्रीम कोर्ट की एडवोकेट सुश्री महिमा सिंह ने अपने संबोधन में इस बात पर जोर दिया कि राजनीति में महिलाओं को आगे आना चाहिए। राजनीतिक दल चुनावों में महिलाओं को ज्यादा से ज्यादा संख्या में टिकट दें। राजनीति में महिलाओं की ज्यादा से ज्यादा हिस्सेदारी से राजनीति का स्तर अच्छा होगा। जिस प्रकार से परिवार और समाज का मैनेजमेंट महिलाएं ही बेहतर ढंग से करती हैं उसी तरह से राजनीति में महिलाओं की ज्यादा भागीदारी से राजनीति की दशा और दिशा दोनों बेहतर होगी। एडवोकेट महिमा ने कहा कि महिलाओं को अपने अधिकारों के बारे में जानना चाहिए। उन्हें शिक्षा पर जोर देना चाहिए। जागरूकता से ही महिलाओं को आगे बढ़ने की राह प्रशस्त होगी। उन्होंने इस बात पर भी काफी महत्व दिया कि महिलाओं को प्रशासनिक सेवा में भी आगे आना चाहिए। अभी हालात ऐसे हैं कि प्रशासनिक सेवा में 25 प्रतिशत भी महिलाएं नहीं हैं। इसलिए प्रशासनिक सेवाओं में महिलाओं की संख्या निश्चित रूप से बढ़नी चाहिए।

सरकार ऐसी योजनाएं बनाए जिससे महिलाएं आगे बढ़ें : सुश्री अदिति श्रीवास्तव
वेबिनार की गेस्ट ऑफ़ ऑनर महर्षि समूह के स्कूल ऑफ़ कॉन्शसनेस (एसओसी) की एडवाइजर सुश्री अदिति श्रीवास्तव ने कहा कि भारतीय संस्कृति में कहा गया है कि जहाँ महिलाओं की पूजा होती है वहां देवता भी वास करते हैं। ऐसे में हमें अपने जीवन और समाज में महिलाओं के सम्मान और उनके स्थान के महत्व को समझना चाहिए। सुश्री अदिति श्रीवास्तव ने इस बात पर जोर दिया कि सरकार को ऐसी योजनाएं बनानी चाहिए जिनसे महिलाएं आगे बढ़ें। महिलाओं को हर वो अधिकार दिए जाने चाहिए जो एक सामान्य नागरिक को दिए जाते हैं। उनके साथ किसी प्रकार का भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए वरना यही भेदभाव उनके पीछे रहने की सबसे बड़ी वजह बन जाता है।
महिलाओं के प्रति समाज में व्याप्त भेदभाव और असमानता को खत्म करने का संकल्प लें : प्रो ग्रुप कैप्टन श्री ओपी शर्मा
महर्षि यूनिवर्सिटी ऑफ़ इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी के डायरेक्टर जनरल प्रो ग्रुप कैप्टन श्री ओपी शर्मा ने कहा कि आज आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, खेल हर क्षेत्र महिलाओं की उपलब्धियों से भरा हुआ है। ये दिन इन्हीं उपलब्धियों को सलाम करने का दिन है। इसके अलावा इन दिन का मकसद महिलाओं के अधिकारों को लेकर जागरुकता फैलाना भी है ताकि उन्हें उनका हक मिल सके और वह पुरुषों के साथ कदम से कदम मिलाकर चल सकें। हमें आज के दिन महिलाओं के प्रति समाज में व्याप्त भेदभाव और असमानता को खत्म करने का संकल्प लेना चाहिए।

महिलाओं की स्थिति समाज में बेहतर बनाने को लेकर प्रयासरत रहने का संकल्प लें सभी : डॉ. केबी अस्थाना
स्कूल ऑफ़ लॉ के डीन डॉ. केबी अस्थाना ने अपने संबोधन में कहा कि आज भी कई जगहों पर उन्हें लैंगिक असमानता, भेदभाव झेलना पड़ता है। कन्या भ्रूण हत्या के मामले आज भी आते हैं। महिला के खिलाफ अपराध बढ़ते जा रहे हैं। ऐसे में हमारा यह कत्तर्व्य है हम महिलाओं की स्थिति समाज में बेहतर बनाने को लेकर प्रयासरत रहने का संकल्प लेना चाहिए।
अपने हक़ के लिए खुद लड़ें महिलाएं : डॉ. अनु बहल मेहरा
स्कूल ऑफ़ लॉ की डिप्टी डीन डॉ. अनु बहल मेहरा ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर महिला सशक्तीकरण की बात करें तो महिलाओं को अपने हक के लिए पहले खुद से लड़ना होगा, ताकि वह किसी भी जुल्म, भेदभाव या किसी भी विपरीत परिस्थिति में जूझने में मजबूत हो सके। महिलाओं के रूप में लिया जाने वाला पहला महत्वपूर्ण कदम आत्मविश्वास बढ़ाकर आत्मसम्मान हासिल करना, अपना महत्व समझना एवं अपनी देखभाल कर अपना सम्मान करना है। आत्मसम्मान के विकास में अपनी अंदरूनी शक्ति को प्रभावशाली विचारों से सजाना है।
वेबिनार का संचालन स्कूल ऑफ लॉ में असिस्टेंट प्रोफेसर सुश्री अंतिमा महाजन ने किया। उन्होंने भी अपने सम्बोधन में महिलाओं की आत्मनिर्भरता की बात की। धन्यवाद ज्ञापन स्कूल ऑफ लॉ की डॉ तृप्ति वार्ष्णेय ने दिया। इस मौके पर श्री अरुण कुमार ने कविता भी प्रस्तुत की।