Report By Deepanshi Sharma.
गर्मियों के मौसम में स्नोफॉल का अपना ही मजा है। दूर-दूर तक बिछी बर्फ की चादर किसे अच्छी नहीं लगती है। लोग स्नोफॉल के इस नजारे को एक बार अपनी आंखों में कैद करने के लिए दूर-दूर से पहाड़ों की वादियों में खिंचे चले आते हैं। पर पहाड़ों की खूबूसूरती बढ़ाने वाली इन बर्फ का सफर बहुत कठिन होता है। बर्फ कई भागों से गुजरने के बाद ये वादियों में आपके दीदार के लिए अपनी खूबसूरती बिखेरती हैं। वहीँ देखा जाए तो इन दिनों कड़ाके की ठंड पड़ रही है। इस वजह से तापमान लगातार गोते लगा रहा है। ठंडी हवाओं और कोहरे ने लोगों को घरों में रहने पर मजबूर कर दिया है। वहीँ दूसरी ओर स्नोफॉल के कारण ऐसा लग रहा जैसे पहाड़ों ने श्रृंगार कर लिया है। हिमाचल हो या जम्मू-कश्मीर की खूबसूरत वादियां, हर जगह बर्फ की चादर बिछी हुई है। यहां बर्फबारी का दीदार करने सैकड़ों टूरिस्ट लगातार हिल स्टेशन का रुख कर रहे हैं।
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आखिर क्या कारण है पहाड़ी इलाकों में बर्फबारी होने का
दरअसल सूरज की गर्मी के कारण सुमुद्रों, झीलों, नदियों, तालाबों का पानी लगातार वैपोरेट होता रहता है। यहां वैपोरेट का मतलब पानी के भाप बनने से है। जब पानी भाप बनने लगता है तो इसका वजन वायुमंडल में मौजूद हवा से हल्का हो जाता है और ये तेजी से आसमान की तरफ बढ़ता है। फिर ऊपर जाने के साथ ही ये भाप वहां के तापमान के मुताबिक बादल का रूप ले लेती है। इसलिए कई बार ऊपर का तापमान फ्रीजिंग प्वाइंट पर होता है जिनके प्रभाव से ये भाप बर्फ में चेंज होने लगती है। बर्फ में बदलते ही ये भारी हो जाती है औऱ नीचे की तरफ आने लगती है। नीचे आते वक्त इनका आकार घटता-बढ़ता रहता है, क्योंकि इस दौरान छोटे-छोटे स्नो-फ्लैक्स एक दूसरे से टकराते रहते हैं औऱ हवा में बिखर जाते हैं। इसी कारण पहाड़ों पर बर्फ की चादर दिखाई देती है।
कैसे गिरते है दिल्ली, यूपी जैसे राज्यों में ओले
हिमाचल, उत्तराखंड, जम्मू कश्मीर के कई इलाकों में सदियों के मौसम में बर्फबारी होती है। लेकिन दूसरी ओर यूपी, पंजाब, राजस्थान और दिल्ली जैसे मैदानी इलाकों में बर्फ तो गिरती हैं लेकिन वो बर्फबारी के रूप में नहीं, ओले के रूप में होती हैं। ये ओले स्काईमेट के अनुसार जब आसमान में तापमान शून्य से कई डिग्री कम हो जाता है तो वहां हवा में मौजूद नमी ठंडी बूंदों के रूप में जम जाती है, और जब धीरे-धीरे ये बर्फ के गोलों का रूप धारण कर लेती हैं। तब आमतौर पर ये गोले ज्यादातर तूफान या तेज आंधी में गिरते हैं।

कई चरणों से गुजरता है आसमान से नीचे आने में बर्फ का सफर
वायुमंडल में बड़ी मात्रा में तैरती भाप बर्फ में बदल जाती है। इस कारण आसमान से नीचे आने का इनका सफर कई चरणों से गुजरता है। बहुत बार ये टुकड़े सख्त और बड़े भी होते हैं। नीचे आते वक्त ये टुकड़े ओजोन परत से भी गुजरते हैं जहां ज्यादा तापमान की वजह से ये पिघल जाते हैं। फिर ये पहाड़ी इलाकों में स्नो फ्लेक्स के रूप में गिरता है क्योंकि वहां का तापमान कम होने से ये फिर से बर्फ में बदल जाता है और बाकी जगहों पर ये बारिश के रूप में अपनी मौजूदगी दर्ज कराता है। इसलिए हम सब को अलग-अलग बर्फ की खूबसूरती देखने को मिलती है।
(Deepanshi is student of MA-JMC first year from Maharishi University Of Information Technology, Noida)